सरकार ने हाल ही में संविदाकर्मी और दैनिक वेतनभोगी कर्मचारियों के लिए बड़ी खुशखबरी दी है। कोरोना महामारी और महंगाई के दौर में कई संविदाकर्मियों को वेतन वृद्धि की लंबे समय से प्रतिक्षा थी। अब वित्त विभाग ने 1 अप्रैल 2025 से लागू होने वाली वेतन वृद्धि के आदेश जारी कर दिए हैं। इस वेतन वृद्धि के तहत संविदा कर्मियों को लगभग 300 रुपये से लेकर 1500 रुपये तक वेतन में बढ़ोतरी मिलेगी। यह वेतन वृद्धि उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI-Consumer Price Index) के आधार पर तय की गई है, जो महंगाई के स्तर को दर्शाता है।
संविदाकर्मियों का वेतन सामान्य कर्मचारियों के समान नहीं होने के कारण उनकी मांग रहती है कि उन्हें भी नियमित कर्मचारियों जितना महंगाई भत्ता (DA) मिले। इस मसले पर सरकार ने अभी जो निर्देश जारी किए हैं, वह संविदा कर्मचारियों के लिए एक राहत की खबर है। इसके साथ ही दैनिक वेतनभोगी कर्मचारियों को भी सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार न्यूनतम वेतन मिले, इस पर काम चल रहा है। इससे संविदा और दैनिक वेतनभोगी दोनों कर्मचारियों के जीवन स्तर में सुधार आने की उम्मीद है।
संविदाकर्मियों और दैनिक वेतनभोगियों की वेतन वृद्धि
संविदा कर्मी वह कर्मचारी होते हैं जिनकी नौकरी एक तय अवधि के लिए होती है, और वे सरकारी या राज्य के विभिन्न विभागों में कार्यरत होते हैं। इनके वेतन और भत्ते नियमित कर्मचारियों से अलग होते हैं। हाल ही में जारी हुए आदेश के अनुसार, वित्त विभाग ने 2025 के उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) को 2.94 प्रतिशत घोषित किया है। इससे सीधा असर संविदा कर्मचारियों के वेतन में होगा और इन्हें 300 से 1500 रुपये तक मासिक वेतन वृद्धि मिलेगी।
यह वेतन बढ़ोत्तरी सरकार की ओर से संविदा कर्मचारियों के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है क्योंकि यह उनकी आर्थिक स्थिति को स्थिर करने में मदद करेगी। संविदा कर्मचारियों ने इस वृद्धि को एक सहज राहत के तौर पर देखा है लेकिन वे मांग जारी रख रहे हैं कि नियमित कर्मचारियों के समान डीए उनकी वेतन संरचना में शामिल किया जाए।
दैनिक वेतनभोगी कर्मचारी वे कर्मचारी होते हैं जिन्हें दिन-प्रतिदिन आधार पर वेतन मिलता है। सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में एक बड़ा फैसला दिया है जिसके अनुसार दैनिक वेतनभोगी कर्मचारियों के न्यूनतम वेतन की नीति लागू होगी। इसका उद्देश्य उनके वेतन में न्यूनतम सीमाएं निर्धारित कर उन्हें आर्थिक सुरक्षा प्रदान करना है।
सरकार की योजनाएं और संविदा नीतियां
संविदा कर्मचारियों के लिए सरकार ने 22 जुलाई 2023 को एक नई संविदा नीति भी जारी की है। इस नीति का मकसद संविदा कर्मचारियों के रोजगार और वेतन की स्थिति को सुधारना है। इस नीति के अंतर्गत संविदा कर्मचारियों के वेतन संशोधन, महंगाई भत्ते और अन्य लाभों का प्रावधान किया गया है।
सरकार के इस निर्णय से संविदा कर्मचारियों को महंगाई के प्रभाव को सहने में काफी मदद मिलेगी क्योंकि उपभोक्ता मूल्य सूचकांक के आधार पर वेतन वृद्धि से उनका वास्तविक वेतन महंगाई के प्रभाव से बच सकेगा। इसके अलावा संविदा कर्मियों की मांग है कि जैसा वेतन नियमित कर्मचारियों को मिलता है, उन्हें भी वैसा वेतन और भत्ता दिया जाए ताकि वे आर्थिक रूप से मजबूत हो सकें।
विभिन्न राज्यों में भी संविदा और आउटसोर्स कर्मचारियों के वेतन बढ़ाने के आदेश दिए जा रहे हैं। जैसे उत्तर प्रदेश में एक आदेश के तहत संविदा कर्मियों के वेतन में 5 से 6 हजार रुपये तक की वृद्धि हुई है जिससे उनकी स्थिति में सुधार आया है।
साथ ही आउटसोर्स एजेंसी के कर्मचारियों को भी उचित वेतन देने के निर्देश जारी किए गए हैं। इससे कई शिकायतें और वेतन विवाद भी जल्द समाप्त होने की उम्मीद बनी है।
शामिल कर्मचारी वर्ग और लाभ
इस वेतन वृद्धि में लगभग 20 प्रकार के संविदा कर्मचारी जैसे चौकीदार, लिपिक, डीईओ, वार्डन, ड्राफ्ट्समैन, स्टेनोग्राफर आदि शामिल हैं। दैनिक वेतनभोगी कर्मचारी जैसे सफाई कर्मी, सुरक्षा गार्ड, अस्थायी कर्मचारी आदि को भी इस वेतन वृद्धि से लाभ मिलेगा।
सरकार प्रयास कर रही है कि सभी आउटसोर्स और संविदा कर्मचारियों को नियमित कर्मचारियों के प्रदर्शन और जरूरतों के मुताबिक वेतन और भत्ते दिए जाएं ताकि कोई वर्ग आर्थिक रूप से पिछड़ा न रहे।
Conclusion
सरकार द्वारा संविदा और दैनिक वेतनभोगी कर्मचारियों के वेतन वृद्धि का आदेश जारी करना एक स्वागत योग्य कदम है। इससे उनके आर्थिक हालात में सुधार होगा और महंगाई के प्रभाव को कम किया जा सकेगा। हालांकि कर्मचारियों की मांग है कि उन्हें नियमित कर्मचारियों के समान待遇 मिले, लेकिन फिलहाल वेतन वृद्धि से उन्हें निश्चित रूप से राहत मिलेगी।