प्रॉपर्टी रजिस्ट्री से जुड़ी जानकारी हर व्यक्ति के लिए बेहद जरूरी है, क्योंकि अपने नाम पर जमीन या मकान खरीदने का सपना सभी देखते हैं। रजिस्ट्री से यह तय होता है कि संपत्ति का अधिकार किसके पास है और भविष्य में कोई विवाद न हो, इसके लिए सही प्रकार से रजिस्ट्री करवाना जरूरी है। लेकिन बहुत बार लोग रजिस्ट्री के अलग-अलग प्रकारों को लेकर भ्रमित हो जाते हैं और यह नहीं समझ पाते कि कौन सी रजिस्ट्री सुरक्षित है और किसे आगे जाकर कैंसिल किया जा सकता है।
आम तौर पर, रजिस्ट्री को ‘लीगल डॉक्युमेंट’ के रूप में देखा जाता है, जो संपत्ति पर आपके स्वामित्व को कानूनी रूप से मान्यता देता है। अगर इसमें किसी तरह की गलती या भ्रम रहता है, तो मालिकाना हक खतरे में पड़ सकता है। इसलिए, यह जानना जरूरी है कि किन परिस्थितियों में रजिस्ट्री बिल्कुल सुरक्षित मानी जाती है और किन में उसका निरस्तीकरण संभव है।
एक खास बात यह भी है कि सरकार या अन्य संस्थाओं द्वारा चलाई जा रही स्कीमें, जैसे कि प्रधानमंत्री आवास योजना या राज्य सरकारों की आवास योजनाएं, प्रॉपर्टी की रजिस्ट्री को लेकर लोगों को काफी सहूलियत और सुरक्षा देने का प्रयास करती हैं। इन योजनाओं के तहत बनाई गई रजिस्ट्री अक्सर अधिक सुरक्षित मानी जाती है, क्योंकि कानूनी प्रक्रियाएं और दस्तावेज़ीकरण में सरकार की प्रत्यक्ष भागीदारी होती है। साथ ही, इनमें धोखाधड़ी की संभावना भी अपेक्षाकृत कम होती है।
प्रॉपर्टी रजिस्ट्री के मुख्य प्रकार और इनकी सुरक्षा
प्रॉपर्टी रजिस्ट्री का मुख्य काम संपत्ति के ट्रांसफर को वैध बनाना है। रजिस्ट्री के दो मुख्य प्रकार होते हैं—’फाइनल (Absolute) रजिस्ट्री’ और ‘शर्तों वाली (Conditional) रजिस्ट्री’।
फाइनल रजिस्ट्री का मतलब है कि खरीददार को संपत्ति का पूरा हक मिल गया है और यह रजिस्ट्री पूरी तरह से पूरी कानूनी प्रक्रिया के बाद हुई है जिसमें सारा भुगतान भी कर दिया गया है। ऐसी रजिस्ट्री को आमतौर पर बिना कोर्ट के हस्तक्षेप के कैंसिल नहीं किया जा सकता। फाइनल रजिस्ट्री के बाद प्रॉपर्टी सुरक्षित मानी जाती है और विक्रेता उसे वापस नहीं ले सकता।
वहीं, शर्तों वाली रजिस्ट्री वो होती है जिसमें कुछ शर्तें तय होती हैं और यदि वो शर्तें पूरी नहीं होतीं, तो पार्टियों के दावे पर रजिस्ट्री को निरस्त भी किया जा सकता है। उदाहरण के लिए, अगर रजिस्ट्री के समय भुगतान आंशिक रूप से किया गया है और बाकी रकम बाद में देनी है, तो यदि भुगतान नहीं होता, रजिस्ट्री को निरस्त किया जा सकता है। ऐसे मामलों में प्रॉपर्टी खरीददार या विक्रेता दोनों के अधिकार खतरे में पड़ सकते हैं।
रजिस्ट्री की वैधानिकता और निरस्तीकरण की स्थिति
रजिस्ट्री की सबसे बड़ी विशेषता इसकी वैधानिकता है। भारत की ‘रजिस्ट्रेशन एक्ट, 1908’ के अनुसार, हर संपत्ति की रजिस्ट्री करना अनिवार्य है। जब रजिस्ट्री पूरी कानूनी प्रक्रिया के तहत होती है, तो इसे अदालत में चुनौती देना आसान नहीं होता। फिर भी, धोखाधड़ी, गलत जानकारी या फर्जी दस्तावेजों के आधार पर की गई रजिस्ट्री को कोर्ट के आदेश पर निरस्त किया जा सकता है।
वहीं, ‘जीपीए/पाॅवर ऑफ अटॉर्नी’ या ‘एग्रीमेंट टू सेल’ केवल प्रॉपर्टी ट्रांसफर की प्रक्रिया में शुरुआती कदम होते हैं, ये रजिस्ट्री नहीं माने जाते। इनमें अगर पूरा फाइनल पेमेंट न हुआ हो, या अन्य शर्तें पूरी नहीं हुई हो, तो इन्हें कैंसिल किया जा सकता है। इसके अलावा, हाइपनोटेक या किसी बैंकी ऋण के तहत संपत्ति ट्रांसफर हुआ है, तो फाइनल रजिस्ट्री तभी सुरक्षित मानी जाएगी जब लोन की सारी शर्तें पूरी हों और बैंक का नो-ऑब्जेक्शन मिल जाए।
सरकारी योजनाओं और आम प्रॉपर्टी रजिस्ट्री में अंतर
सरकारी योजनाओं के तहत जो प्रॉपर्टी रजिस्ट्री होती है, वह प्रायः ज्यादा सुरक्षित होती है, क्योंकि इसमें Transparency और Documents Verification की प्रक्रिया सख्त होती है। सरकार या आवास बोर्ड द्वारा बनाई गई Housing Schemes के तहत Flats या Plots की रजिस्ट्री कराने के लिए आवेदकों से सभी जरूरी दस्तावेज लेकर ही फाइनल अलॉटमेंट किया जाता है। निजी खरीदी-बिक्री में आपको खुद दस्तावेजों की पूरी जांच करनी जरूरी है; वकील या रजिस्ट्री ऑफिस में उचित सलाह लेकर ही डील करें।
किन मामलों में रजिस्ट्री हो सकती है कैंसिल?
अगर रजिस्ट्री के दौरान किसी पक्ष ने जानबूझकर गलत जानकारी दी है, जाली दस्तावेज प्रस्तुत किए हैं या जबर्दस्ती, धमकी, धोखाधड़ी से काम किया गया है, तो रजिस्ट्री—कोर्ट के आदेश से—रद्द हो सकती है। इसके अलावा, ऐसा भी संभव है कि खरीदार के नाम पर प्रॉपर्टी की रजिस्ट्री हो गई, पर उसने पूरी रकम न चुकाई हो, तो विक्रेता कोर्ट जाकर रजिस्ट्री निरस्त करा सकता है। इसी तरह, जमानत विवादों या परिवारिक संपत्ति विवाद में भी रजिस्ट्री को चैलेंज किया जा सकता है।
सरकारी आवासीय योजनाओं में, जब तक कोई गंभीर धोखाधड़ी न हो, फाइनल रजिस्ट्री निरस्त नहीं की जाती है। ऐसी स्कीमों से बनी रजिस्ट्री का कानूनी आधार मजबूत होता है।
निष्कर्ष
प्रॉपर्टी रजिस्ट्री की सुरक्षा इस बात पर निर्भर करती है कि वह फाइनल है या किसी शर्त के साथ की गई है। फाइनल रजिस्ट्री, कानूनी रूप से, सुरक्षित और भरोसेमंद है, जबकि शर्तों वाली रजिस्ट्री नीचे किसी परिस्थिति में निरस्त की जा सकती है। सरकारी योजनाओं से की गई रजिस्ट्री थोड़ा अधिक सुरक्षित मानी जाती है। संपत्ति खरीदते वक्त दस्तावेजों की पूरी जांच और सही प्रक्रिया का पालन करना हमेशा जरूरी है।