खतौनी और भूमि माप की जानकारी: बीघा, बिस्वा, धुर में बदलने की प्रक्रिया

Published On: August 5, 2025
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भूमि का मापन और रिकॉर्ड रखना भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में हमेशा से महत्वपूर्ण रहा है। खेती-किसानी में ज़मीन का सही नाप-जोख और दस्तावेज़ीकरण भविष्य की योजनाओं, विवादों के समाधान और लाभकारी सरकारी योजनाओं के लिए ज़रूरी है। अधिकतर किसान “खतौनी” नामक दस्तावेज़ का उपयोग करते हैं, जिसमें ज़मीन की जानकारी, मालिक का नाम, रकबा और खेती की भूमि का विवरण दर्ज होता है।

खतौनी मुख्य तौर पर तहसील या राजस्व विभाग द्वारा जारी की जाती है। इसमें ज़मीन का रिकॉर्ड वर्षवार देखा जा सकता है, जिससे ज़मीन बेचने, खरीदने या विरासत में देने में आसानी होती है। कई बार एक ज़मीन के लिए खतौनी में अलग-अलग स्थानीय इकाइयों जैसे बीघा, बिस्वा, बघा, धुर आदि में रकबा लिखा रहता है, जिनका बदलना जरुरी हो जाता है ताकि ज़्यादा समझ और कानूनन प्रक्रिया आसान हो सके।

खतौनी क्या है?

खतौनी एक सरकारी दस्तावेज़ है जिसमें गांव या कस्बे के हर किसान की ज़मीन का पूरा विवरण दर्ज होता है। इसमें ज़मीन का माप, मालिक का नाम, खातेदारों के नाम, पिता/पति का नाम, भूमि का वर्ग, कुल रकबा, और राजस्व ऋण जैसी जानकारी होती है। आम तौर पर यह तहसील कार्यालय या ऑनलाइन पोर्टल से प्राप्त की जा सकती है।

खतौनी की मदद से किसान अपने नाम पर दर्ज ज़मीन की जानकारी आसानी से देख सकते हैं। यह दस्तावेज़ बैंकों से कृषि लोन लेने, ज़मीन की खरीद-फरोख्त, सरकारी योजनाओं का लाभ उठाने और राजस्व विवादों के समाधान में काफ़ी काम आता है। उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्यप्रदेश आदि राज्यों में इसका व्यापक उपयोग होता है।

भूमि माप की इकाइयाँ

भारत के अलग-अलग राज्यों या क्षेत्रों में भूमि मापने के लिए विभिन्न स्थानीय इकाइयाँ प्रचलित हैं, जैसे कि बीघा, बिस्वा, बिघा, धुर, कट्ठा आदि। वहीं, कहीं-कहीं हेक्टेयर, एकड़, वर्ग मीटर, वर्ग फुट आदि मापन भी मानक माने जाते हैं। इन स्थानीय इकाइयों को समझना इसलिए जरूरी है ताकि ज़मीन की सही जानकारी मिल सके तथा सरकारी रिकॉर्ड में भी सही एंट्री हो।

उदाहरण के लिए, उत्तर प्रदेश के अधिकतर भागों में जमीन को बीघा, बिस्वा, बिस्सा में मापा जाता है। इसी तरह बिहार में कट्ठा और धुर प्रचलित हैं। एक जगह का बीघा दूसरी जगह के बीघा के बराबर नहीं होता, यह राज्य या जिले के अनुसार अलग-अलग हो सकता है।

बीघा, बिस्वा और धुर में बदलने की प्रक्रिया

भूमि को एक इकाई से दूसरी इकाई में बदलना आसान प्रक्रिया है, परंतु इसके लिए संबन्धित माप के मानक जानना आवश्यक है। नीचे आम रूपांतरण की जानकारी दी जा रही है:

उत्तर प्रदेश, बिहार आदि जगहों पर प्रचलित माप प्रणाली सामान्यत: इस प्रकार है:

  • 1 बीघा = 20 बिस्वा (कहीं-कहीं अन्य मान भी हो सकते हैं)
  • 1 बिस्वा = 20 बिस्वासी
  • 1 कट्ठा = 20 धुर
  • बिहार में 1 एकड़ = 30 कट्ठा

यदि किसी किसान के नाम 3 बीघा 8 बिस्वा दर्ज हैं, तो पहले बीघा को बिस्वा में बदलना होगा:
3 बीघा = 3 × 20 = 60 बिस्वा
कुल बिस्वा = 60 + 8 = 68 बिस्वा

ऐसे ही, बिहार या झारखंड में कट्ठा और धुर का संबन्ध समझ सकते हैं।
उदाहरण: 5 कट्ठा 10 धुर = (5 × 20) + 10 = 110 धुर

सरकार ने कई राज्यों में भूलेख (लैंड रिकॉर्ड्स) को डिजिटल कर दिया है जिससे किसान ऑनलाइन खतौनी निकाल सकते हैं और उसमें आसानी से अपने रकबे को मनचाही इकाई में बदल सकते हैं। इसके लिए ऑनलाइन कंवर्टर टूल्स भी उपलब्ध हैं।

सरकारी योजनाएँ और लाभ

भूमि रिकॉर्ड डिजिटलीकरण और खतौनी के नवीनीकरण के लिए कई राज्य सरकारें “डिजिटल भारत” अभियान के तहत ऑनलाइन पोर्टल चला रही हैं। इसका मकसद हर किसान तक अपनी खतौनी समय से और बिना कठिनाई पहुंचाना है।
इसके साथ ही, “भूमि माप योजना” के तहत राजस्व विभाग गाँव-गाँव जाकर भूमि की सही पैमाइश करता है, जिससे नई खतौनी या खेत का नक्षा अपडेट किया जाता है और ज़मीन का विवाद कम होता है।

जमीन का रकबा अगर सही से बीघा-धुर में दर्ज है तो किसान को किसी भी सरकारी योजना—जैसे प्रधानमंत्री किसान योजना, फसल बीमा, ऋण और मुआवजा आदि—का लाभ उठाने में सहूलियत मिलती है। नई तकनीक और स्कीमों की वजह से किसान अब राजस्व कार्यालय के चक्कर काटने से बच सकते हैं।

Chetna Tiwari

Chetna Tiwari is an experienced writer specializing in government jobs, government schemes, and general education. She holds a Master's degree in Media & Communication and an MBA from a reputed college based in India.

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