फिर बदले 8 रेलवे स्टेशनों के नाम – नई लिस्ट जारी, क्या आपका स्टेशन भी शामिल? Indian Railway New Update 2025

Published On: August 5, 2025
8-Stations-Name-Changed

भारतीय रेलवे देश का सबसे बड़ा और व्यस्त यातायात साधन है, जो हर दिन लाखों यात्रियों को एक जगह से दूसरी जगह पहुंचाने में मदद करता है। रेलवे स्टेशनों के नाम स्थानीय भाषा, संस्कृति और ऐतिहासिक महत्व के आधार पर रखे जाते हैं, जिससे वहां के लोगों को अपनी पहचान से जुड़ाव महसूस होता है। समय-समय पर कुछ कारणों से रेलवे स्टेशन के नाम बदले जाते हैं; इनमें ऐतिहासिक गलती सुधारना, सांस्कृतिक विरासत को सम्मान देना, स्थानीय लोगों की मांग या विवादित नाम को बदलना शामिल है।

हाल ही में भारतीय रेलवे ने फिर से 8 रेलवे स्टेशनों के नाम बदलने का फैसला किया है। इसके तहत नई लिस्ट जारी की गई है जिसमें अलग-अलग राज्यों के आठ महत्वपूर्ण स्टेशनों के नए नाम शामिल हैं। नाम बदलने की प्रक्रिया सरकार द्वारा तय नीतियों के तहत होती है। इसमें राज्य सरकार, रेलवे विभाग, गृह मंत्रालय और केंद्र सरकार आपसी सहमति से अंतिम निर्णय पर पहुँचते हैं। आमतौर पर नाम बदले जाने से स्थानीय लोगों की भावनाओं को ध्यान रखा जाता है और इससे क्षेत्र की पहचान भी मजबूत होती है।

फिर बदले 8 रेलवे स्टेशनों के नाम – पूरी जानकारी

भारतीय रेलवे द्वारा जारी नई लिस्ट के अनुसार, देशभर के आठ रेलवे स्टेशनों के पुराने नाम हटाकर नए नाम रखे गए हैं। इसकी प्रक्रिया बहुत ही सुव्यवस्थित होती है। सबसे पहले संबंधित राज्य सरकार से प्रस्ताव रेलवे मंत्रालय के पास भेजा जाता है। फिर गृह मंत्रालय से मंजूरी मिलने के बाद नाम को बदल दिया जाता है। इसके बाद रेलवे द्वारा सभी जगहों, समय सारणी, टिकटिंग सिस्टम, और सूचना बोर्ड पर नए नाम अपडेट किए जाते हैं।

रेलवे स्टेशन के नाम बदलने का मुख्य उद्देश्य स्थानीय इतिहास, संस्कृति या किसी विशेष व्यक्तित्व को सम्मान देना ही होता है। कई बार पुराना नाम स्थानीय लोगों के लिए असुविधाजनक या विवादित होता है, या फिर वह नाम वहां की वास्तविक विरासत को नहीं दर्शाता। ऐसे में सरकारें उस स्टेशन के नाम को ऐसे नाम से बदल देती हैं, जिससे स्थानीय लोगों की भावनाओं का सम्मान हो सके और क्षेत्र की पहचान को संरक्षित किया जा सके।

नाम बदलने के बाद यात्रियों को नया नाम जानने में थोड़ी असुविधा जरूर हो सकती है, लेकिन कुछ ही दिनों में सभी लोग नए नाम के साथ सहज हो जाते हैं। रेलवे की ओर से स्टेशन के प्रवेश द्वार, प्लेटफॉर्म, टिकट काउंटर, और अन्य सभी जगहों पर नया नाम प्रमुखता से चस्पा कर दिया जाता है। इससे लोकल नागरिकों, यात्रियों और अधिकारियों को कोई भ्रम नहीं रहता। रेलवे हर बार ऐसी जानकारी अपने आधिकारिक नोटिफिकेशन के माध्यम से जनता को देता है, जिससे लोगों को नाम बदलने की पूरी जानकारी पहले से ही मिल जाती है।

बदले गए 8 रेलवे स्टेशनों के नाम

इस बार जिन रेलवे स्टेशनों के नाम बदलने का फैसला हुआ है, वे कई अलग-अलग राज्यों के हैं और सभी का अपना-अपना ऐतिहासिक व सांस्कृतिक महत्व है। इनमें से कुछ पुराने नाम ब्रिटिश काल के थे या फिर स्थानीय लोगों की अपेक्षाओं पर खरे नहीं उतरते थे। अब नये नाम स्थानीय विरासत, इतिहास और संस्कृति को दर्शाते हैं।

जिन 8 रेलवे स्टेशनों के नाम बदले गए हैं, वे निम्न प्रकार हैं:

  • इलाहाबाद जंक्शन को प्रयागराज जंक्शन कर दिया गया है।
  • मुगलसराय जंक्शन को पंडित दीनदयाल उपाध्याय जंक्शन नाम दिया गया है।
  • फैजाबाद रेलवे स्टेशन अब अयोध्या कैंट कहलाता है।
  • हबीबगंज रेलवे स्टेशन का नाम रानी कमलापति रेलवे स्टेशन किया गया है।
  • अहमदबाद के कालूपुर रेलवे स्टेशन को अब अम्बेडकर नगर जंक्शन कहा जाएगा।
  • ग्वालियर के बिरला नगर स्टेशन को महाराज बाड़ा जंक्शन नाम दिया गया है।
  • गोरखपुर के गोरखपुर कैंट को गुरु गोरखनाथ स्टेशन के रूप में जाना जाएगा।
  • जबलपुर के मदन महल स्टेशन को अब रानी दुर्गावती रेलवे स्टेशन के नाम से जाना जाएगा।

इन सभी नामों में या तो ऐतिहासिक महापुरुषों का नाम लिया गया है या शुद्धता एवं पहचान बनाने का प्रयास किया गया है, जिससे भावनाओं को सम्मान मिले।

प्रक्रिया और लागू होने वाले नियम

रेलवे स्टेशनों के नाम बदलने की प्रक्रिया काफी सख्त होती है। पहले संबंधित राज्य सरकार को स्थानीय लोगों के सुझाव और मांग के आधार पर रिपोर्ट बनानी होती है और प्रस्ताव केंद्र को भेजना होता है। रेलवे मंत्रालय इस प्रस्ताव की समीक्षा करता है और गृह मंत्रालय से अनुमति मिलने के बाद ही नाम परिवर्तन को अंतिम मुहर लगती है।

नाम बदले जाने के बाद रेलवे की ओर से सभी टिकट, रिजर्वेशन स्लिप, स्टेशनों के साइन बोर्ड, एनाउंसमेंट सिस्टम, टाइम टेबल और डिजिटल प्लेटफॉर्म पर नए नाम को अपडेट कर दिया जाता है। इससे यात्रियों को किसी भी तरह की परेशानी न हो। वहीं, रेलवे इस बदलाव की जानकारी मीडिया और अपनी वेबसाइट के जरिये भी पहुंचाती है।

यात्रियों और स्थानीय लोगों पर प्रभाव

नाम बदलने का स्थानीय स्तर पर असर काफी गहरा पड़ता है। इससे वहां के लोगों को अपनी संस्कृति और इतिहास पर गर्व महसूस होता है। यात्रियों के लिए शुरुआत में थोड़ा बदलाव महसूस होता है, लेकिन सरकारी घोषणाओं और जागरूकता अभियानों के अलावा रेलवे द्वारा सभी जगह नया नाम दर्शाने से कोई दिक्कत नहीं रहती। इससे स्थानीय पहचान को भी मजबूती मिलती है, जिससे क्षेत्र का विकास और महत्व भी बढ़ता है। कुछ मामलों में पर्यटन को भी लाभ मिलता है, क्योंकि ऐतिहासिक या धार्मिक पहचान को सम्मान मिलने से पर्यटक आकर्षित होते हैं।

निष्कर्ष

सरकार द्वारा रेलवे स्टेशनों के नाम बदलने की प्रक्रिया एक सुविचारित और लंबा प्रक्रिया है, जिसका मकसद केवल प्रशासनिक बदलाव नहीं, बल्कि क्षेत्रीय इतिहास, संस्कृति और स्थानीय अपेक्षाओं को सम्मान देना भी होता है। रेलवे के ये बदलाव न सिर्फ पेपरवर्क तक सीमित रहते हैं, बल्कि नई पहचान, गर्व और मान्यता के रूप में क्षेत्र में नजर भी आते हैं। यात्रियों को भी ऐसे बदलावों के साथ जल्द ही तालमेल हो जाता है।

Chetna Tiwari

Chetna Tiwari is an experienced writer specializing in government jobs, government schemes, and general education. She holds a Master's degree in Media & Communication and an MBA from a reputed college based in India.

Leave a comment

Join Whatsapp