पिछले 10 सालों में EPS 95 पेंशनधारकों ने लगातार अपने हक़ और सम्मानजनक जीवन के लिए सरकार से पेंशन बढ़ोतरी की माँग की थी। महंगाई, स्वास्थ्य खर्च और जरूरतों की बढ़ती लागत के बीच 1,000 रुपए मासिक पेंशन बेहद कम साबित हो रही थी। पेंशनधारकों की यह आवाज़ पूरे देश में गूंजती रही, बड़े-बड़े प्रदर्शन और दलीलें सरकारी मंचों तक पहुचीं।
आखिरकार, 2025 के बजट के करीब सरकार ने EPS 95 पेंशनधारकों को बड़ी खुशखबरी दी है। वर्षों की मेहनत और संघर्ष रंग लाई और सरकार ने कर्मचारियों के भविष्य निधि संगठन (EPFO) के अंतर्गत मिलने वाली ईपीएस-95 की न्यूनतम पेंशन 1,000 रुपए से बढ़ाकर 7,500 रुपए प्रति माह करने का फैसला लिया। इससे करीब 60 लाख से भी ज्यादा पेंशनधारकों को सीधा फायदा मिलेगा।
EPS 95 पेंशन योजना क्या है?
EPS-95 या कर्मचारी पेंशन योजना 1995, एक सामाजिक सुरक्षा योजना है जिसे EPFO ने 19 नवंबर, 1995 से लागू किया। इस योजना का मकसद रिटायरमेंट के बाद कर्मचारियों को हर महीने पेंशन देकर वित्तीय सुरक्षा देना है। जो भी कर्मचारी EPF (Employees’ Provident Fund) से जुड़े होते हैं, वे स्वचालित रूप से EPS-95 में भी शामिल होते हैं।
इस योजना के तहत:
- कर्मचारी और नियोक्ता की कुल 12% बेसिक सैलरी व डीए की कटौती होती है।
- कर्मचारी का पूरा 12% भाग EPF में जाता है, लेकिन नियोक्ता की हिस्सेदारी में से 8.33% EPS में तथा 3.67% EPF में जमा होता है।
- रिटायरमेंट के बाद जब कर्मचारी की उम्र 58 साल हो जाती है, तब वह इस पेंशन का लाभ ले सकता है।
- लाभार्थी को सुपरएनुएशन (आम तौर पर 58 वर्ष की उम्र) पर पेंशन मिलती है।
लंबा संघर्ष और बड़ी मांगें
2014 में सरकार ने ईपीएस-95 योजना के तहत न्यूनतम पेंशन 1,000 रुपए प्रति माह तय की थी। लेकिन देशभर के पेंशनधारकों और श्रमिक संगठनों ने इसे बहुत कम और असंतोषजनक बताया। उनके अनुसार, यह राशि गुजारे लायक नहीं थी—खासकर तब जब दवाइयों, स्वास्थ्य सेवाओं, किराए, खाने-पीने की चीज़ों की कीमतें लगातार बढ़ रही थीं।
पेंशनधारकों ने सरकार से माँग की कि न्यूनतम पेंशन 7,500 रुपए प्रति माह तथा महंगाई भत्ता (DA) भी दिया जाए। इसी के साथ, मुफ्त स्वास्थ्य सेवाएं देने की भी अपील की गई। पेंशनधारकों की यह जिद सरकार तक पहुँची; कई बार संसद में सवाल भी उठे। ट्रेड यूनियन ने भी न्यूनतम पेंशन को 5,000 रुपए तक बढ़ाने की सलाह दी, मगर EPS-95 नेशनल अगिटेशन कमेटी ने इसे न्यूनतम जरूरतों के लिए भी नाकाफी बताया।
सरकार की घोषणा और इसमें क्या मिलेगा?
सरकार ने EPFO के तहत EPS-95 योजना की न्यूनतम पेंशन को अब 7,500 रुपए प्रति माह करने की घोषणा कर दी है। इसके अलावा, महंगाई के असर को कम करने के लिए डीए (Dearness Allowance/महंगाई भत्ता) भी देने की योजना है, जो समय-समय पर ऑल इंडिया कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स के अनुसार बढ़ता रहेगा।
60 लाख से ज्यादा पेंशनर्स को इससे सीधा लाभ मिलेगा। इसके लिए फंड की व्यवस्था केंद्र सरकार और EPFO द्वारा मिलकर की जाएगी। इस फैसले से वरिष्ठ नागरिकों को आत्मनिर्भरता, सम्मान और सुरक्षित जीवन जीने में सहायता मिलेगी।
इस योजना के तहत पात्रता के लिए जरूरी है कि कर्मचारी ने कम-से-कम 10 साल तक सेवा की हो और ईपीएफ का सदस्य रहा हो। रिटायरमेंट उम्र पूरी होते ही पेंशन मिलनी शुरू हो जाती है। जिन कर्मचारियों की उम्र 58 वर्ष होने पर यह योजना पूरी होती है, वे इसका लाभ ले सकते हैं।
EPS-95 पेंशन बढ़ोतरी का महत्व
महंगाई और जीवन स्तर की लागत तेजी से बढ़ती जा रही है। ऐसे में सिर्फ 1,000 रुपए पेंशन मिलने से बुजुर्गों और उनके परिवार का गुजारा मुश्किल था। अब 7,500 रुपए प्रति माह मिलने से वे दवाइयां, इलाज, किराया जैसे जरूरी खर्च पूरे कर सकेंगे।
सरकार का यह कदम सामाजिक न्याय और वरिष्ठ नागरिकों के हितों की रक्षा की दिशा में बहुत अहम है। इससे बुजुर्गों को आर्थिक शक्ति के साथ-साथ मानसिक शांति भी मिलेगी। सरकार ने सालों से चली आ रही इस समस्या के समाधान की दिशा में मजबूत और संवेदनशील कदम उठाया है।
निष्कर्ष
EPS-95 पेंशन योजना के तहत न्यूनतम पेंशन 7,500 रुपए करने का फैसला पेंशनधारकों के लिए ऐतिहासिक राहत है। यह न केवल वित्तीय सुरक्षा देगा बल्कि बुजुर्गों को सम्मानपूर्ण जीवन जीने में भी मदद करेगा। सालों का लंबा संघर्ष रंग लाया और अब पेंशनधारकों के लिए यह खशखबरी नई उम्मीद लेकर आई है।