देश में महंगाई लगातार चर्चा का विषय बनी हुई है, क्योंकि इसकी सीधी मार आम नागरिकों से लेकर सरकारी कर्मचारियों और पेंशनर्स तक पर पड़ती है। इस महंगाई का हिसाब लगाने और सरकारी भत्ते तय करने के लिए एक खास इंडेक्स है – AICPIN यानी ‘All India Consumer Price Index for Industrial Workers’। इसी इंडेक्स के आधार पर भारत सरकार हर छः महीनों में महंगाई भत्ते (Dearness Allowance/DA) की गणना और संशोधन करती है।
इंडस्ट्री में काम करने वाले हर वर्ग के कर्मचारियों की सैलरी और पेंशन का बड़ा हिस्सा महंगाई भत्ते से प्रभावित होता है। 2025 में AICPIN के आंकड़ों में लगातार तेजी देखी जा रही है, जिससे अनुमान है कि त्योहारी सीजन के पहले कर्मचारियों की जेब और भारी हो सकती है।
AICPIN Index और इसका महत्व
AICPIN इंडेक्स, लेबर ब्यूरो के तरफ से हर महीने जारी किया जाता है, जिसमें देश के 88 सबसे महत्वपूर्ण औद्योगिक केंद्रों के 317 बाजारों के खुदरा मूल्य इकट्ठा कर CPI-IW (कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स फॉर इंडस्ट्रियल वर्कर्स) निकाला जाता है। यही CPI-IW महंगाई भत्ते की दर तय करने की बुनियाद है। 2025 के आंकड़ों पर नजर डालें तो मार्च में बढ़कर यह इंडेक्स 143 रहा, अप्रैल में 143.5 और मई में 144 तक पहुंच गया। यह लगातार तीसरा महीना है जब इंडेक्स में बढ़ोतरी हुई।
इसका असर सीधा-सीधा केंद्र सरकार के करीब 1 करोड़ कर्मचारियों और पेंशनर्स पर पड़ता है, जिन्हें 7वें वेतन आयोग के नियमों के मुताबिक DA (Dearness Allowance) दिया जाता है। इसका मकसद बढ़ती महंगाई के बीच कर्मचारियों को आर्थिक सुरक्षा देना होता है।
महंगाई भत्ता कितना बढ़ेगा?
2025 के ताजा आंकड़ों के आधार पर सरकार ने जुलाई से महंगाई भत्ता (DA) में 3% की बढ़ोतरी की घोषणा की है, जिससे यह 55% से बढ़कर 58% हो गया है। उदाहरण के लिए अगर आपकी बेसिक सैलरी 25,000 रुपए है, तो पहले आपको 13,750 रुपए महंगाई भत्ते के रूप में मिल रहे थे, अब वहीं बढ़कर लगभग 14,500 रुपए हो जाएगा। इसी तरह पेंशनर्स की पेंशन में भी बढ़ोतरी होगी।
मई 2025 के लिए घोषित CPI-IW इंडेक्स 144 रहा, जो लगातार बढ़ती महंगाई का संकेत है। सरकार हर बार पिछले 12 महीनों के इंडेक्स का औसत लेती है और निर्धारित फॉर्मूले के अनुसार DA-DR में संशोधन करती है। यह बदलाव हर साल जनवरी और जुलाई में लागू होते हैं, जिससे सरकारी कर्मचारियों और पेंशनर्स दोनों को फायदा मिलता है।
महंगाई भत्ता किसे और कैसे मिलता है?
महंगाई भत्ता केंद्र सरकार, राज्य सरकार और PSUs (सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम) के कर्मचारियों को मिलता है। इसका मकसद बढ़ती महंगाई के चलते कर्मचारियों की क्रयशक्ति को बरकरार रखना होता है। पेंशनर्स को ‘Dearness Relief’ (DR) के रूप में वही लाभ दिया जाता है, जिससे उनकी पेंशन भी महंगाई के मुताबिक एडजस्ट होती रहे।
DA की गणना 7वें वेतन आयोग के तय फॉर्मूले से की जाती है। इसके पीछे सरकार का मकसद कर्मचारियों के जीवनस्तर को स्थिर बनाए रखना रहता है, ताकि रोजमर्रा के खर्चे में ज्यादा फर्क न पड़े। लेबर ब्यूरो समय-समय पर CPI-IW का बेस ईयर भी अपडेट करता है, जिससे इंडेक्स मौजूदा जीवनशैली को बेहतर तरीके से दर्शा सके।
महंगाई भत्ते में बढ़ोतरी का फायदा
DA बढ़ने का सीधा फायदा यह होता है कि कर्मचारियों व पेंशनर्स के हाथ में ज्यादा पैसे आते हैं, जिससे वे महंगाई के बावजूद अपने जरूरी खर्च आसानी से पूरा कर पाते हैं। यह वृद्धि न केवल सैलरी बल्कि कई अन्य भत्तों जैसे HRA, TA आदि पर भी असर डालती है, क्योंकि इनका भी निर्धारण अक्सर बेसिक सैलरी और DA को जोड़कर किया जाता है।
इसके अलावा सरकारी क्षेत्र में DA/DR में वृद्धि से प्राइवेट कंपनियों में भी कंपनसेशन पॉलिसी को लेकर नए बदलाव आते हैं, जिससे वहां के कर्मचारियों को भी कुछ हद तक राहत मिलती है। आर्थिक दृष्टि से देखें तो DA बढ़ने से बाजार में खर्च भी बढ़ता है, जिससे एकोनॉमी को भी गति मिलती है।
निष्कर्ष
कुल मिलाकर, AICPIN Index में हुई जबरदस्त तेजी के चलते केंद्र सरकार ने जुलाई 2025 से महंगाई भत्ते में 3% बढ़ोतरी कर दी है, जिससे यह 58% तक पहुंच गया है। इससे केंद्र सरकार के करोड़ों कर्मचारियों और पेंशनर्स को राहत मिलेगी और उनकी आय में सीधा लाभ मिलेगा। आने वाले महीनों में CPI-IW के आंकड़ों पर नजर रखी जाएगी ताकि महंगाई भत्ते में आगे भी जरूरत के हिसाब से बदलाव किया जा सके।